शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र की संस्कृति का संरक्षण, संवर्धन एवं हस्तान्तरण होता है। छात्र/छात्रा शिक्षा के माध्यम से ही अपने व्यक्तित्व का विकास तथा राष्ट्रीय संस्कृति को ग्रहण कर सकते हैं। शिक्षा हमारे अन्तर्निहित अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्रज्जवलित करती है। यह व्यक्ति को सभ्य एवं सुसंस्कृत बनाने का एक सशक्त माध्यम है। यह हमारी अनुभूति एवं संवेदनशीलता को प्रबल करती है तथा वर्तमान एवं भविष्य के निर्माण का अनुपम स्रोत है। आज का मानव अपने मानवीय मूल्यों के प्रति विमुख हो चुका है। परम्परागत आदर्श समाप्त होते प्रतीत हो रहे हैं। हमारे आदर्श एवं विश्वास समाज में अनुपस्थित होते जा रहें हैं। ऐसी स्थिति में उचित शिक्षा ही हमारे मूल्यों को विकसित करने में सार्थक कदम उठा सकती है।
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Mr. Mahendra Yadav
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